राशि चक्र की यह दूसरी राशि है, इस राशि का चिन्ह 'बैल' है, बाल स्वभाव से बहुत अधिक पारिश्रमिक और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, सामान्यतः: वह शांत रहती है, मध्य प्रदेश में वह उग्र रूप में धारण कर लेती है। यह स्वभाव वृषभ राशि के जातकों में भी पाया जाता है, वंश राशि का विस्तार राशि चक्र के 30 अंशों से 60 अंशों के बीच पाया जाता है, इसका स्वामी शुक्र ग्रह है। इसके तीन दर्शन में उनके स्वामी 'शुक्र-शुक्र', शुक्र-बुध', और शुक्र-शनि हैं। इसके मूल कृतिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चार चरण, और मृगसिरा के प्रथम दो चरण आते हैं। इन चरण के स्वामी चन्द्रमा-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी चन्द्रमा-शनि, चतुर्थ चरण के स्वामी चन्द्रमा-मंगल, हैं। है.
दूसरे चरण और तीसरे चरण के स्वामी सूर्य-शनि, जातक के जीवन में पिता का कलह में सहायक होता है, फल के मानस सरकारी सहायकों की ओर से जाते हैं, और सरकारी अधिकारी कार्य शिक्षा की योग्यता देते हैं, पिता के पास गौण कार्य या भूमि के जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिक तर मंगल के बुरे हो जाने की दशा में शराब, कबाब और भूत भोजन के में अपनी रुचि को चित्रित करता है।
कुंडली के चौथे चरण के स्वामी और गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव पैदा होने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो घमंड की बात करता है, सरकारी कुंडली के स्वामी और अपने काम की कुंडली को अपना या आकर्षित करता है, और किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य कारक बनने की योग्यता होती है।
रोहिणी के प्रथम चरण के मालिक चन्द्रमा-मंगल हैं, डॉ. का संयुक्त प्रभाव ज्योतिष के साथ-साथ मानसिक ताप को भी प्रदान करता है, कलस्टर, अस्पताल के काम और जनता के लिए उद्योग उद्योग का काम कर सकता है, ज्योतिष की माता से दोस्ती है, और पिता के मित्र अन्य मित्रों से बने रहते हैं।
रोहिणी के दूसरे चरण के स्वामी चन्द्र-शुक्र जातक को अधिक सौन्दर्य बोधि और कला प्रिय हैं। जातिका कलाकार के क्षेत्र में अपना नाम पसंद किया जाता है, माता और पिता का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण में समाजसत्य लाया जाता है, जातिका या जाति का अपने जीवन मित्र के साथ संबंध पसंद किया जाता है।
रोहिणी के तीसरे चरण के मालिक चंद्र-बुद्ध जातक को कन्या संत अधिक देते हैं, और माता के साथ स्टार्ट-अप के गुणों का विवरण देते हैं, जातक या जातिका के जीवन में व्यवसायिक यात्राएं स्थायी होती हैं, जातक ने अपने ही बनाए हुए उसूलों पर अपना जीवन व्यतीत किया है, अपनी ही उंगलियों से वह गुरु के रूप में जाल बुनता रहता है और अपने ही बुने में जालंस कर अपने को भी समाप्त कर लेता है।
रोहिणी के चतुर्थ चरण के स्वामी चन्द्र-चन्द्र हैं, जातक के पद पर सदैव पदवी छाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है।
मगसिरा के पहले चरण के मालिक मंगल-सूर्य हैं, और अधिक तर इस युति में पैदा होने वाले जातक अपने शरीर से डबल होने के वावजूद के प्रशंसक होते हैं, वे अपने व्यवहार के कारण हमेशा के लिए एकजुट हो जाते हैं। उनका अनाधिकृत आदेश पत्र की वैति होने से सेना या पुलिस में अपने निरंकुश बनाये रखा जाता है, इस प्रकार के जातक यदि किसी भी विभाग में काम करते हैं तो सरकारी प्रमाण पत्र को किसी भी प्रकार से क्षति नहीं पहुंचायी जाती है।
मगसिरा के दूसरे चरण के स्वामी मंगल-बुध जातक के नाम कभी कठोर और कभी नर्म स्थिति वाली पैदा कर देते हैं, कभी तो जातक बहुत ही स्वभाव में प्रकट होता है, और कभी बहुत ही गर्मी में मिज़ाज़ी बन जाता है। ज्योतिष के कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने और इंजीनियरिंग की दिशा में भी सफलता है।
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